Thursday, October 8, 2015

बेटियाँ - घर के आँगन की चिरैया ..

*  प्रस्तावना 
*  बेटियाँ - घर की चिरैया -प्रतीक
*  शैशव और पीहर
*  कुछ दृष्टांत
*  उपसंहार 




                   ' बेटी ' - यह शब्द ही इतना मीठा, दुलार भरा है कि बोलते ही मन ममता से भर जाता हैं, और खडी होती है एक तसवीर - मुसकाती हुई परी, नन्हे नन्हे हाथो में गुलाबी चूड़ियाँ पहनकर, छोटे छोटे पैरो में पायल पहनकर घरके आँगनमें चहकने वाली प्यारी चिडीया | कितनी प्यारी होती हैं ये बेटियाँ |

                    बेटी सही अर्थ में आँगन की चिरैया - यानी कि चिड़िया होती है | अपने हिस्से के दाने लेकर- अपने हिस्से का दुलार लुटाकर चली जाती हैं- उड़ जाती हैं | और छोड़ जाती हैं पीहर में अपनी यादेँ | बेटियों का दामन सभी के लिए प्रेम से भरा होता हैं | कोई भी रिश्ता हो, बिना बेटियों के वो अधुरा -सा लगता हैं | मानों या ना मानों , पर जिस घर में बेटी ना हो, उस घर का आतिथ्य भी कुछ फ़ीका-सा लगता हैं |

                     'बेटी' शब्द के साथ एक शब्द जुडा है- पीहर | जहाँ वे अपने अस्तित्व का समग्र प्यार लुटा जाती है | पापा की लाड़ली होती है- माँ की दुलारी होती हैं और भाई की मुसकान होती है बेटियाँ | तभी तो इतना स्नेह अपने दामन में संजो पाती है | अगर काम के वक्त बेटा सो रहा हो, तो उसे उठाकर बाप काम पर भेज देगा ; पर अगर उसकी जगह बेटी सो रही हो, तो पिता दो बार सोचेंगे कि उसे जगाएँ या नहीं- पता नही ये सुकून की नींद उसे ससुराल में मिले ना मिले | एक बहुत मशहूर पंक्ति है कि - आपका बेटा तब तक आपका है. जब तक उसकी शादी नहीं हो जाती | पर बेटियाँ तो सदैव बेटियाँ ही रहती है | ससुराल जाने पर भी वें माइके की शुभकामनाएँ ही करती रहती हैं | 
इस पर से एक कथा याद आती हैं - नया शादीशुदा एक जोड़ा था | पति- पत्नी ने मिलकर  फैसला लिया कि कोई भी आये, वो दरवाज़ा नहीं खोलेंगे | सबसे पहले पति के माँ- बाप आए और दरवाज़ा खटखटाने लगे | पर जब कि पहले तय हो चुका था, पति- पत्नी ने दरवाज़ा नहीं खोला | थोड़ी देर बाद पत्नी के माँ- बाप आए और दरवाज़ा खटखटाया| पत्नी ने आंसू भरे नैनो से पति के सामने देखा और बोली -" यह में अपने माँ - बाप के साथ नहीं कर सकती |" और उसने दरवाज़ा खोल दिया | पति ने कुछ कहा नही| बरसो बीत गए और उनके यहाँ पुत्र का जन्म हुआ | दावत दी गई| पर थोड़े वर्षो बाद जब उनको एक पुत्री हुई, तो पति काफी खुश हुआ | पत्नी ने उसका कारण पूछा , तब वो बोला, "यह वो है, जो मेरे लिए दरवाज़ा खोलेगी | " सच में, जितना त्याग और समर्पण बेटी कर सकती है, शायद ही ऐसा कोई रिश्ता होगा | 

                        इतिहास में भी बेटियों ने कुछ -न -कुछ कारणों के लिए समर्पण किये हुए है - चाहे वो अपने राज्य को बचाने के लिए एक मुग़ल से विवाह करती राजपूत की हरकाबाई हो | या फिर अपनी अंतिम साँस तक लडती झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई हो | बेटियाँ सदैव ही अपने पीहर के आँगन को सँवारती है | अगर घर तुल्सीक्यारा है, तो उस पर रखा दीया - बेटी है |

एक लेखक ने बहोत ही कम शब्दों में बेटियों को समजाया है-

"बेटियाँ कुछ लेने नहीं आती है पीहर"

..बेटियाँ.. 
..पीहर आती है.. 
..अपनी जड़ों को सींचने के लिए.. 
..तलाशने आती हैं भाई की खुशियाँ..
..वे ढूँढने आती हैं अपना सलोना बचपन..
..वे रखने आतीं हैं.. 
..आँगन में स्नेह का दीपक..
..बेटियाँ कुछ लेने नहीं आती हैं पीहर..

..बेटियाँ..
..ताबीज बांधने आती हैं दरवाजे पर.. 
..कि नज़र से बचा रहे घर..
..वे नहाने आती हैं ममता की निर्झरनी में..
..देने आती हैं अपने भीतर से थोड़ा-थोड़ा सबको..
..बेटियाँ कुछ लेने नहीं आती हैं पीहर..

..बेटियाँ.. 
..जब भी लौटती हैं ससुराल..
..बहुत सारा वहीं छोड़ जाती हैं..
..तैरती रह जाती हैं.. 
..घर भर की नम आँखों में.. 
..उनकी प्यारी मुस्कान..
..जब भी आती हैं वे, लुटाने ही आती हैं अपना वैभव.. 
..बेटियाँ कुछ लेने नहीं आती हैं पीहर..🙏

बेटियाँ- सच में होती है घर की चिरैया | 

Saturday, July 4, 2015

On a touchy Farewell...


Computer's memory can be defined into two parts basically. Likewise, People who stay away from home are also divided into two parts. One parts handles the Present while another one always dwells upon home town. But, if, you are lucky enough to get best supporting people in new environment, your homesickness can subside at a level. I think I was one of those lucky ones :)

Yesterday, I got relieved from my Rajkot office. My colleagues bid me a farewell. Honestly speaking, It wasn't expected. An entire flashback of 6 months in that office passed infront of my eyes. Thank you all Sir and Ma'm for those beautiful moments. 
Today, I can proudly say that I earned relations along with my first salary in that office. It was beginning of my carrier and every staff member supported me the best. sometimes, even did my piece of work in my absence . and  gave me true advice and help whenever I needed. Thank you for Everything. :) I can never forget these 6 months. 

As a parting gift, I've got an Alarm clock saying "Happy everyday". I wish you all the same. Right now, not anything coming into my mind except thankfulness. And, Words can not convey the feelings I'm holding. Wish you all a happy and bright future ahead. You were the best colleagues I could have..   


Saturday, May 30, 2015

वो मौसम का झोंका..

किसी मौसम का झोंका था, जो इस दीवार पर लटकी हुई तस्वीर तिरछी कर गया है ..

गये सावन में ये दीवारें यूँ सीली नहीं थी

ना जाने क्यों इस दफ़ा इनमे सीलन आ गयी है,
दरारें पड़ गयी हैं
और सीलन इस तरह बहती है जैसे,
खुशक़ रुखसारों पे गीले आँसु चलते हैं...




ये बारिश गुनगुनाती थी इसी छत की मुंडेरो पर
ये घर की खिड़कियों के काँच पर उंगली से लिख जाती थी सन्देसे 
गिरती रहती है बैठी हुई अब बंद रोशनदानों के पीछे.

दुपहरें ऐसी लगती हैं,
बिना मुहरों के खाली खाने रखें हैं
ना कोई खेलने वाला है बाज़ी
और ना कोई चाल चलता है

ना दिन होता है अब, ना रात होती है, सभी कुछ रुक गया है
वो क्या मौसम का झोंका था, जो इस दीवार पर लटकी हुई तस्वीर तिरछी कर गया है..


- Gulzar (from movie: Raincoat) 


Saturday, April 25, 2015

સંધ્યાના બે રંગો


સંધ્યાના બે રંગો જેવા આપણે બેઉ,
એક ગુલાબી ને કેસરી બીજો..
એકબીજા માં ખોવા છતાં.., કદી એકમેક નું અસ્તિત્વ ન ભુલાવતા..
આપણી જેમ જ ,નહીં?

કોઈ વાર આકાશ વધુ ગુલાબી લાગે,
જાણે કેસરિયો આજે રિસાયો છે ,
ને એની ગુલાબી પ્રિયતમા અહી-તહીની વાતો થી એને મનાવવા મથી રહી છે...
તો ક્યારેક વળી ગુલાબી પણ હઠ કરતી હશે ને?
મારા બાલિશ નખરાઓ જેવી રીતે તું નિભાવે છે..?!

સંધ્યા ત્યારે ખીલે – જયારે આકાશ મન મુકીને વરસ્યું હોય..
મારી નાનકડી દુનિયામાં તારું આગમન એટલે જ થયું હશે?મન મુકીને વરસવા માટે?!
શબ્દોને હવાનું માધ્યમ જોઈએ.. પણ મારી લાગણીઓને બસ તારી એક નજર પુરતી છે..
હસતા ચહેરા પાછળની મારી ઉદાસી,
 કદી ના રોવાયેલા આંસુઓ- આટલું બધું એક કાચી સેકન્ડમાં તને કોણ કહી જાય છે?

યાર મને એક ફરિયાદ છે..
સાંજે ઘરે પાછા ફરતા પક્ષીઓની કતારો જોઈ છે? સંધ્યા સમયે બધાને પોતાના સ્નેહી યાદ આવે છે..
જયારે સાંજ ના કેનવાસ પર રંગોની પીંછી ફરે, 
ત્યારે એને સંધ્યા “ખીલી” એમ કહેવાય..
તો પ્રેમમાં તો યાદો રૂપી રંગોની આખી પ્યાલી ઢોળાય, 
તો પછી પ્રેમમાં “પડવું” એમ શાને કહેવાય છે?

તું મને એમ કહે કે આપણે વિના કારણે કેમ આટલું બધું ઝઘડતા હોઈશું?
બિલાડીના બે બચ્ચાઓની માફક નાની નાની વાતે લડી પડીએ છીએ ને?!
પણ સાચું કહું, મને એના વિના ચાલતું પણ  નથી..
મતભેદ થયા પછી પણ મારા મન પર બસ તું જ તું છવાય છે!

તારે મઢેલી રાતો હોય કે હોય ભરચક્ક ઉનાળો,
ગુલમહોર અને રાતરાણીમાંથી પણ હું તારી મહેક પામું છું..
દુનિયા આખી ના વ્હાલનો પ્રતિસાદ તે મને તારામાં શોધી આપ્યો, માન્યું !
પણ ,હું તો દર વખતે બસ તારા હોવાપણામાં જ ખોવાઈ જાઉં છું..

- Anita R. 

Saturday, February 14, 2015

Farewell Poem for AAGMAN-3 @ MSTU, Rajkot.


Completed our basic training Yesterday. For our Farewell function, I tried to write a poem, including Names of Whole batch- AAGMAN 3 & our Respected Faculty of MSTU, Rajkot. Well, It is not actually a poem as structure of "Chhand" is not maintained properly. and It was some how difficult b'coz I had to make sentences with Predefined Names. 
Secondly: Thank you very much to my batch mates for liking it. we had a great time together. and also a BIG THANK YOU to our Faculties, who do not only taught us departmental basics but also taught as morals and ethics. Thank you sir and Madam for sharing your experiences and knowledge with us. It'll be very beneficial in future.  

So, here it goes:


{highlighted words are the names..}


जितने होते नाम प्रभु के, उतने चाँद - तारे,
रोहित किरणों के साथ मानों, सूर्य आरती उतारे!

(जितने चाँद तारे आकाश में हैं, उतने ही प्रभु के नाम हैं.., और सूर्य उसकी पहली किरणों से मानो प्रभु की आरती करता हैं..)



कदंब के नीचे हिरल चांदनी में दिखेगा राधिका का कान्हा,
चाहो तो उसे केह दो अवधेश, वैदेही ने जिनको माना..

(एक हैं राधा के कृष्ण  कन्हैया जो चाँदनी की प्रभा  में कदम्ब के नीचे  खड़े  हैं, और एक हैं जानकी के प्रभु जिनको हम राघव केहते हैं..)



और भी तो नाम हैं देखो इनके - रमेश , नरेश , मुकेश , दिनेश और महेन्द्र ;
असलम करते ये दुनिया को मोह से, रजनीश और नगेन्द्र.. 

(भगवान के और भी बहोत सारे नाम हैं, और वो भगवान ही हैं जो हमें दुनिया के मोह से असलम { यानी की आज़ाद} करते हैं..)



वंदन करते हम सब इनका, हमारी अनिता से,
हार्दिक प्रेम का प्रतिक हमारा, स्मृति और श्रवण से.. 

(स्मरण और श्रवण के माध्यम से हम सब भगवान को छोटी छोटी प्रार्थना करके वंदन करते हैं जो हमारा भगवन के प्रति प्रेम हैं)



क्या किया तूने मातृभूमि के लिए, या आगे क्या करेंगे ,
भगवान अगर आकर पूछे, जवाब यही तब देंगे;

मन-जीत कर दुर्गेश बनेंगे , पायेंगे हम जयसुख ,
कपिल भूमि में सुधीर तरह से , मोडेंगे विजय का रुख..

(जिसने मन को जीता, वो मानों जग जित गया , हम ऐसे ही मन को जित कर विजय पाएंगे और भारत की ये कपिल (अर्थ- लाल) भूमि में धीरे धीरे विजय का रथ मोडेंगे..)



मुकर्रम होंगे दिलीप जैसे, जिनसे पाये  हमने राघव, 
कहीं इतिहास की निरव चुप्पी में, प्रताप बने थे मालव.. 

(जिनके वंश मे श्रीराम ने जन्म लिया, वे दिलीप राजा की तरह मुकर्रम {अर्थ- आदरणीय} बनेंगे, और इतिहास में भी महाराणा प्रताप की शौर्य की कहानिया लिखी गई हैं..हम बस वैसे बनेंगे..)



धनंजय हो के भी जिज्ञेश बनेंगे, नहीं अहम् हो श्रीलक्ष्मी का,
अशोक हो हम कूच करेंगे, तिलक हो पूर्वजो की अश्मि का.. 

(कितना भी धन आ जाये, उसका अहम् न करके रोज ज्ञान बढ़ाएंगे, और किसी भी तरह का शोक न मनाते हुए पूर्वजो की अश्मि को माथे पर सजाके कुच करेंगे..)



नत मस्तक होंगे हम, भरेंगे काजल भी नवीन सपनो का,
शान-ए-आलम बनायेंगे देश को, बढ़ाएंगे गौरव भी अपनों का !

(सब कुछ प्रभु को अर्पण कर देंगे, रोज नए नए सपने देखेंगे और पूरे करेंगे....बस ऐसे ही देश को दुनिया की शान बनाकर देशवासियों का गौरव बढ़ाएंगे..)


Meanings of Some Names:

रोहित-  First Rays of Sun
हिरल- Bright
असलम- A person who frees someone/ something
अनिता- A small prayer
कपिल- Reddish Brown color
मुकर्रम- Respected/ honored
मालव- Keeper of Horses
धनंजय - Gaining of Wealth
जिज्ञेश - Intellectual Curiosity
शान-ए-आलम- Proud of the World




Recent Posts

Recent Posts Widget