Saturday, February 14, 2015

Farewell Poem for AAGMAN-3 @ MSTU, Rajkot.


Completed our basic training Yesterday. For our Farewell function, I tried to write a poem, including Names of Whole batch- AAGMAN 3 & our Respected Faculty of MSTU, Rajkot. Well, It is not actually a poem as structure of "Chhand" is not maintained properly. and It was some how difficult b'coz I had to make sentences with Predefined Names. 
Secondly: Thank you very much to my batch mates for liking it. we had a great time together. and also a BIG THANK YOU to our Faculties, who do not only taught us departmental basics but also taught as morals and ethics. Thank you sir and Madam for sharing your experiences and knowledge with us. It'll be very beneficial in future.  

So, here it goes:


{highlighted words are the names..}


जितने होते नाम प्रभु के, उतने चाँद - तारे,
रोहित किरणों के साथ मानों, सूर्य आरती उतारे!

(जितने चाँद तारे आकाश में हैं, उतने ही प्रभु के नाम हैं.., और सूर्य उसकी पहली किरणों से मानो प्रभु की आरती करता हैं..)



कदंब के नीचे हिरल चांदनी में दिखेगा राधिका का कान्हा,
चाहो तो उसे केह दो अवधेश, वैदेही ने जिनको माना..

(एक हैं राधा के कृष्ण  कन्हैया जो चाँदनी की प्रभा  में कदम्ब के नीचे  खड़े  हैं, और एक हैं जानकी के प्रभु जिनको हम राघव केहते हैं..)



और भी तो नाम हैं देखो इनके - रमेश , नरेश , मुकेश , दिनेश और महेन्द्र ;
असलम करते ये दुनिया को मोह से, रजनीश और नगेन्द्र.. 

(भगवान के और भी बहोत सारे नाम हैं, और वो भगवान ही हैं जो हमें दुनिया के मोह से असलम { यानी की आज़ाद} करते हैं..)



वंदन करते हम सब इनका, हमारी अनिता से,
हार्दिक प्रेम का प्रतिक हमारा, स्मृति और श्रवण से.. 

(स्मरण और श्रवण के माध्यम से हम सब भगवान को छोटी छोटी प्रार्थना करके वंदन करते हैं जो हमारा भगवन के प्रति प्रेम हैं)



क्या किया तूने मातृभूमि के लिए, या आगे क्या करेंगे ,
भगवान अगर आकर पूछे, जवाब यही तब देंगे;

मन-जीत कर दुर्गेश बनेंगे , पायेंगे हम जयसुख ,
कपिल भूमि में सुधीर तरह से , मोडेंगे विजय का रुख..

(जिसने मन को जीता, वो मानों जग जित गया , हम ऐसे ही मन को जित कर विजय पाएंगे और भारत की ये कपिल (अर्थ- लाल) भूमि में धीरे धीरे विजय का रथ मोडेंगे..)



मुकर्रम होंगे दिलीप जैसे, जिनसे पाये  हमने राघव, 
कहीं इतिहास की निरव चुप्पी में, प्रताप बने थे मालव.. 

(जिनके वंश मे श्रीराम ने जन्म लिया, वे दिलीप राजा की तरह मुकर्रम {अर्थ- आदरणीय} बनेंगे, और इतिहास में भी महाराणा प्रताप की शौर्य की कहानिया लिखी गई हैं..हम बस वैसे बनेंगे..)



धनंजय हो के भी जिज्ञेश बनेंगे, नहीं अहम् हो श्रीलक्ष्मी का,
अशोक हो हम कूच करेंगे, तिलक हो पूर्वजो की अश्मि का.. 

(कितना भी धन आ जाये, उसका अहम् न करके रोज ज्ञान बढ़ाएंगे, और किसी भी तरह का शोक न मनाते हुए पूर्वजो की अश्मि को माथे पर सजाके कुच करेंगे..)



नत मस्तक होंगे हम, भरेंगे काजल भी नवीन सपनो का,
शान-ए-आलम बनायेंगे देश को, बढ़ाएंगे गौरव भी अपनों का !

(सब कुछ प्रभु को अर्पण कर देंगे, रोज नए नए सपने देखेंगे और पूरे करेंगे....बस ऐसे ही देश को दुनिया की शान बनाकर देशवासियों का गौरव बढ़ाएंगे..)


Meanings of Some Names:

रोहित-  First Rays of Sun
हिरल- Bright
असलम- A person who frees someone/ something
अनिता- A small prayer
कपिल- Reddish Brown color
मुकर्रम- Respected/ honored
मालव- Keeper of Horses
धनंजय - Gaining of Wealth
जिज्ञेश - Intellectual Curiosity
शान-ए-आलम- Proud of the World




Recent Posts

Recent Posts Widget