Monday, February 6, 2017

मत आना..




अब अगर आओ तो जाने के लिए मत आना,
सिर्फ़ एहसान जताने के लिए मत आना,
मैंने पलकों पे तमन्नाये सजा रखी है,
दिल मे उम्मीद की सौ शमे जला रखी है,
यह हसी शमे बुज़ाहाने के लिए मत आना,
प्यार की आग मे जंजीरे पिघल सकती है,
चाहने वालो की तकदिरें बदल सकती है,
तुम हो बेबस ये बताने के लिए मत आना,
अब तुम आना जो तुम्हे मुज्ह्से मोहबत है कोई,
मुज्से मिलने की अगर तुमको भी चाहत है कोई,
तुम कोई रसम निभाने के लिए मत आना..
-जावेद अख्तर

1 comment :

  1. kya baat hai.. nice lines
    reading u after a long time !

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