Saturday, May 30, 2015

वो मौसम का झोंका..

किसी मौसम का झोंका था, जो इस दीवार पर लटकी हुई तस्वीर तिरछी कर गया है ..

गये सावन में ये दीवारें यूँ सीली नहीं थी

ना जाने क्यों इस दफ़ा इनमे सीलन आ गयी है,
दरारें पड़ गयी हैं
और सीलन इस तरह बहती है जैसे,
खुशक़ रुखसारों पे गीले आँसु चलते हैं...




ये बारिश गुनगुनाती थी इसी छत की मुंडेरो पर
ये घर की खिड़कियों के काँच पर उंगली से लिख जाती थी सन्देसे 
गिरती रहती है बैठी हुई अब बंद रोशनदानों के पीछे.

दुपहरें ऐसी लगती हैं,
बिना मुहरों के खाली खाने रखें हैं
ना कोई खेलने वाला है बाज़ी
और ना कोई चाल चलता है

ना दिन होता है अब, ना रात होती है, सभी कुछ रुक गया है
वो क्या मौसम का झोंका था, जो इस दीवार पर लटकी हुई तस्वीर तिरछी कर गया है..


- Gulzar (from movie: Raincoat) 


2 comments :

  1. na koi chaal chalta h...

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  2. fantastic movie with some fantastic songs : Raincoat : loved that movie


    and the song sung by shubha mudgal .... ohhh.. too painful

    subah subah .. kaa khyaal aaj
    vaapas gokul chale mathura raaj
    raaj dand chhod bhumi par aaj
    phir kaahe baansuri bajaao
    mathura nagar pati kaahe tum gokul jaao



    mind blowing !!

    ReplyDelete

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